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कपालभाती कैसे करें और इसके फायदे और सावधानिया क्या है? Kapalbhati kaise kare?

                      कपालभाति एक  प्राणायाम है , जो  शरीर शोधन क्रिया के लिए एक बहुत ही विशिष्ट प्राणायाम है।  वास्तव में यह एक प्राणायाम ना हो कर षट्कर्म की एक उच्चतम विधि है।  कपालभाति से यहाँ मतलब हैं कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति का मतलब पेट से है। जहां मणिपुर चक्र मौजूद है जिसमें सूर्य की तरह दीप्तिमान प्रकाश और तेज विद्यमान हैI  

   भाति शब्द की तुलना पेट के समस्त ऑर्गन से है l  जिसका अर्थ  बड़ी आंत , छोटी आंत, पेनक्रियाज, दोनों किडनी, प्रोस्टेट ग्लैंड लीवर से हैl कपालभाति पेट के समस्त संकुचन- प्रकुचन प्रक्रिया को सक्रिय कर देता है l  इसलिए कपालभाति मस्तिष्क और पेट के समस्त विकारों को दूर करने में सहायक है। चलिए अब हम Kapalbhati kaise kare इसके बारे में जानते है :-

कपालभाती कैसे करे ? Kapalbhati kaise kare ? 

कपालभाति क्रिया – Kapalbhati kaise kare

1 सर्वप्रथम स्वच्छ स्थान और स्वच्छ वातावरण का चयन करे।  

2. योगा मैट पर सुखासन या किसी भी ध्यानात्मक मुद्रा मे बैठ जाए, जिसमे आप आरामपूर्वक बैठ सके । 

3. दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा मे रखे।

4. रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रखे।

5. श्वास पर ध्यान रखे और हल्के झटके के साथ पेट को अंदर करे, श्वास स्वत: बाहर की तरफ जाएगा। 

6. श्वास बाहर फेकेंगे तो पेट स्वत: अंदर की तरफ जाएगा, अतः आप शरीर  मे किसी भी तरह का हलचल स्वयं नहीं करे। 

7. जब आसन और मुद्रा सही लग जाएं तो आपको रेचक पर ध्यान देना है, श्वास को एक लय मे बाहर फेकिए।  

8. एक सेकंड में एक बार श्वास को बाहर फेंकना इस तरह 1 मिनट में 60 बार श्वास को बाहर फेकिए। 

kapalbhati kaise kare

अभी आपने जाना कि  कपालभाती कैसे करे( Kapalbhati kaise kare ), चलिए अब हम इसकी सावधानियो के बारे में जानते है 

 

कपालभाती प्राणायाम करते समय क्या-क्या  सावधानियाँ बरतनी चाहिए ,  

  1. इस क्रिया में सिर्फ रेचक पर ध्यान देना है रेचक सहजता से हो,
  2. रेचक का मतलब है श्वास  को एक लयगति की तरह बाहर को फेंकना। 
  3. पेट बिल्कुल साफ होना चाहिए इसका मतलब है की कब्ज और गैस अगर महसूस तो आप इस क्रिया को ना करें। 
  4. सुखासन में बैठकर रीड की हड्डी सीधा हो मन और चित्त को धीरे-धीरे शांत कर ले। 
  5. जिन्होंने कपालभाति का प्रयास अभी प्रारंभ किया है वह इसे शुरुआती दौर में 1 मिनट से लेकर 3 मिनट ही करते हैं। 
  6. जैसे-जैसे अभ्यास बढ़ता है आप 3 मिनट से 5 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते हैं। 
  7. जब अभ्यास आपको शरीर को सहज लगने लगे तब आप से 15 मिनट से लेकर 30 मिनट भी कर सकते हैं। 

कपालभाती के फायदे। Kapalbhati ke fayde. 

 जैसे कि हमने आप सब को बताया कपालभाति का प्रभाव पेट और मस्तिष्क पर पड़ता है। 

1 . हमारे पेट से संबंधित सभी ऑर्गन को उसके अंदर छिपे हुए विजातीय तत्व को बाहर निकलता हैl

2. अगर आप कब्ज  और गैस के रोगी  हैं तो यह स्थाई रूप से आपको ठीक करता है। 

3. पेट हमारे शरीर मे  ट्रांसफार्मर जैसा है और कपालभाति का सीधा लाभ हमारे पेट पर पड़ता हैl

4. मणिपुर चक्र का शोधन करके कब्ज, गैस, हर्निया, बवासीर, संग्रहणी, पेचिश, अपच इत्यादि को ठीक करता है l

5. मधुमेह, यूरिक एसिड का बढ़ना, प्रोस्टेट ग्लैंड की कमजोरी और किडनी इत्यादि से संबंधित रोग को ठीक करने में सहायक है l

6. वीर्य संबंधित सभी दोषो  को दूर करता है। 

7. फेफड़े से संबंधित रोग अस्थमा साइनस, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, टीवी, सांस का फूलना केलोस्ट्रोल बढ़ना इत्यादि से संबंधित रोग को ठीक करने में सहायक हैl

8. हृदय की कमजोरी, अनिद्रा सर दर्द अवसाद आंखों की कमजोरी दृष्टि दोष इन सब में भी बहुत लाभ पहुंचाता है l

9. असाध्य रोगों जैसे कैंसर एड्स हेपेटाइटिस बी, चर्म रोग, गर्भाशय और ब्रेस्ट के कैंसर बीमारियों को ठीक करने में सहायक है l

10. चेहरे के आभामंडल को बढ़ा देता है मुखमंडल बहुत ही सुंदर हो जाता है।

11. इससे भूख बराबर लगने लगता है। 

12. सुषुम्ना में प्राण का प्रवाह बढ़ने से शरीर की कांति भी बढ़ जाती है।

13. आदमी साधारण से असाधारण की यात्रा पर अग्रसर हो जाता है l

कपालभाति के आध्यात्मिक लाभ 

  1. कपालभाति मूलाधार चक्र को सक्रिय कर देता है योगिक शक्तियों का अनुभव होने लगता है। 
  2. इसका मस्तिक सर आज्ञा चक्र पर विशेष प्रभाव पड़ता है अग्रसर कर देता है सूक्ष्म शरीर की अनुभूति होने लगती है  ,
  3. अध्यात्म बस का रास्ता सुलभ हो जाता है और आदमी अपने अस्तित्व से रूबरू होने शुरू हो जाता है
  4. कपालभाती अपने नाम की भांति शरीर को संपूर्ण रूप से शोधन करके उसे आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर करने के लिए संपूर्ण रूप से सक्षम हैं। 

                                   Read More :- अनुलोम विलोम के फायदे क्या है और इसे कैसे करते है?

कपालभाति का निषेध –

  1. जो हृदय रोग से ग्रसित हैं, उन्हें योग गुरु से परामर्श के अनुसार अभ्यास करना चाहिए। 
  2. जिनका कब्ज स्थाई है उन्हें पहले पेट को साफ कर लेना चाहिए।
  3. जिनको बुखार है उन्हे कपालभाती नहीं करना चाहिए। 
  4. महिलाओं को माहवारी के समय योग कपालभाति नहीं करना चाहिए। 
  5. जिनका हाई ब्लड प्रेशर है उन्हे कपालभाती नहीं करना है। 
  6. जिनका किसी भी तरह का सर्जरी हुआ हैं उनको 6 महीना कपालभाति नहीं करना है।
  7. खाना खाने के 4 घंटे तक यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए ।

निष्कर्ष 

कपालभाती प्राणायाम से हम यही  समझते हैं इसका नियमित अभ्यास करने से न सिर्फ पेट से संबंधित सभी विकार दूर होता है बल्कि आपका मन भी स्वस्थ रहता है।  एक स्वस्थ  शरीर मे ही स्वस्थ मन रहता है। अपने नाम की भांति और षट्कर्म की शुद्धि क्रिया के अनुसार  शरीर के संपूर्ण विजातीय तत्व को बाहर फेंक देता है और शरीर को एक नया जन्म देता है।  इस तरह शरीर पर कांति और आभा का एक विशिष्ट बल दिखाई देना शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे आदमी समस्त रोगों से छुटकारा हो जाता है ।

यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण क्रिया है।  यह हमारे आरोग्यता के साथ-साथ हमारे चेहरे की चमक को बढ़ाने वाला और संपूर्ण स्वास्थ्य के लाभ हेतु एक बहुत ही विशेष प्राणायाम  है।  जिसे हर व्यक्ति को नियमित अभ्यास करना चाहिए

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