अनुलोम विलोम के फायदे क्या है और इसे कैसे करते है? Anulom Vilom Pranayam Ke Fayde
मेडिकल साइंस के हिसाब से मनुष्य के शरीर में 72000 नाडीयां होती है लेकिन योग कहता है कि मनुष्य के शरीर के अंदर एक सूक्ष्म शरीर है जिसे आप दूसरा शरीर भी समझ सकते हैं । उसके अंदर असंख्य नाड़ियो का जाल बुना गया है ,वह विद्युत शरीर हमारे स्थूल शरीर यानी कि फिजिकल बॉडी का मुख्य रूप से संचालक और सहायक है । हमारे फिजिकल बॉडी के हर ऑर्गन और उसके हर भाग में प्राण उर्जा का संचार हो रहा है और यह सभी सूक्ष्म शरीर के द्वारा निर्मित किया जाता है I इस तरह से हमारे यानी कि फिजिकल बॉडी से ज्यादा महत्व मेंटल बॉडी सूक्ष्म शरीर का है । आईये अब हम Anulom Vilom Pranayam Ke Fayde बारे में जानते है :-
अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom vilom Pranayama)
Contents
क्रिया और विधि
पेट पूरी तरह से साफ होना चाहिए, उसके बाद क्रिया प्रारंभ करना चाहिए। अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि बड़ा ही सहज है I
1. सबसे पहले एक आरामदायक आसन का चयन करें जिसमें आप सुख पूर्वक बैठ सके ।
2. रीड की हड्डी सीधी हो ।
3. सर्वप्रथम आप अपने दाहिने हाथ में उंगलियों को प्रणव मुद्रा लगाएं ।
4. दाहिने अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें ।
5. बाएं नथुने से गहरी लंबी श्वास धीरे-धीरे अपने भीतर अपने फेफड़ों में भरे ।
6. श्वास को अंदर खीचने के बाद फिर धीरे-धीरे दाहिने नथुने से श्वास को बाहर फेंके ।
7. अब बाएं नथुने को बंद करे और दाहिने नथुने से श्वास को भरे ।
8. फिर बाएं नथुने से उसी प्रक्रिया के तहत श्वास को बाहर छोड़िये ।
9. जब आप शुरुआती दौर में अभ्यास कर रहे हैं तो यह क्रिया 30 सेकंड होनी चाहिए अर्थात स्वास फेफड़ों में भरने का जो समय अवधि हैं वह 30 सेकंड होना चाहिए उतना इस समय अवधि श्वास को बाहर फेंकने में लग हैं इस तरह यह एक क्रिया संपन्न हुआ ।
10. आपको इस प्रक्रिया को 5 से 10 बार करें यह उत्तम अनुलोम विलोम प्राणायाम का विधि है ।
स्थान और वातावरण का महत्व –
कोई भी प्राणायाम, ध्यान, साधना समुचित स्वच्छ और शुद्ध वातावरण में करना चाहिए जहां कि आप पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन अपने अंदर धारण कर सकें जहां का वातावरण सुगंध में हो कोई भी एक आसन का चयन करें।
नियमित समय को निर्धारित करें, स्थान और समय रोज-रोज ना बदलें ।
एक दिव्य वातावरण का माहौल तैयार करें तब आप प्रणाम की विधि जारी करें इससे आपको बहुत ही ज्यादा शांति और क्रिया संपन्न करने में सहायक होगा आपका मन आनंदमय रहेगा ।
भोजन प्रणाली कैसा हो –
अनुलोम विलोम या कोई भी प्राणायाम करने वालों को भोजन सात्विक और स्वच्छ होना चाहिए।
सात्विक भोजन आपके चित और मन को प्रसन्न रखता है ।
प्राणायाम करने वालों का अगर भोजन ताजा हो और पवित्रता के साथ उसको बनाया गया हो, तो यह आपके प्राणायाम के क्रिया को और ही महत्वपूर्ण बना देता है क्योकि पेट साफ रहे यह प्राणायाम करने के लिए अति आवश्यक है I
चलिए अब हम Anulom Vilom Pranayam Ke Fayde के बारे में जानते है :-
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अनुलोम विलोम के फायदे क्या है – Anulom Vilom Pranayam Ke Fayde
अनुलोम विलोम (नाड़ी शोधन) प्राणायाम का नियमित रूप से अपने आहार-विहार को संयम रखकर, अगर निरंतर 1 साल तक 30 मिनट का अभ्यास करे तो, अनुलोम विलोम के फायदे क्या है, इसे हम ठीक से समझते हैं :-
1. अनुलोम विलोम प्राणायाम वायु तत्व से संबंधित सभी रोगों को नष्ट कर देता है ।
2. कफ् तत्व से संबंधित रोगों पर विशिष्ट प्रभाव डालता है ।
3. अगर आप हाई और लो ब्लड प्रेशर के पेशेंट हैं तो नाड़ी शोधन आपके लिए रामबाण काम करता है ।
4. अगर आप माइग्रेन (आधासीसी) के वजह से परेशान है तो यह प्राणायाम आपको इस रोग से छुटकारा दिला सकता है ।बड़े-बड़े एमबीबीएस डॉक्टरों की दवा जो माइग्रेन में काम नहीं करता है, वह अनुलोम विलोम प्राणायाम के कुछ ही दिनों के अभ्यास के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं ।
5. जो डिप्रेशन में चले गए हैं या जिनको अनिद्रा की बीमारी है वह नाड़ी शोधन प्राणायाम से बिल्कुल ठीक हो जाते हैं ।
6. अगर अनुलोम विलोम प्राणायाम का नियमित अभ्यास किया जाए तो यह गठिया सटका पर भी अच्छा प्रभाव डालता है ।
7. जिनको पक्षाघात जिसे लकवा कहा जाता है उन पर अनुलोम विलोम प्राणायाम का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है क्योंकि लकवा में नाड़ी ही निष्क्रिय हो जाती है और अनुलोम विलोम करने से पेशेंट के नाड़ियो को ठीक किया जा सकता है ।
8. यह सेल को मजबूत करता है क्योकि यह शरीर के विजातीय तत्व को बाहर निकालता है जिसके चलते हमारे शरीर में टॉक्सिन बनाना कम हो जाता है इस तरह से यह कैंसर पर भी अच्छा प्रभाव डालता है ।
9. जिनको साइनस, ब्रोंकाइटिस अथवा स्नोफीलिया है, उन्हें नियमित अभ्यास करना चाहिए ।
10. यह थायराइड ग्रंथि को भी ठीक करता है ।
11. सूक्ष्म शरीर को पूरी तरह से शोधन कर देता है ।
12. शरीर के समस्त नाड़ियों की संपूर्ण सुधि हो जाती है और शरीर कांतिमय है होकर ओज -तेज से भर जाता है ।
अनुलोम विलोम के फायदे तो बहुत हैं लेकिन शरीर के जिन भागों पर यह विशेष प्रभाव डालता है और जिन बीमारियों की हमने चर्चा किया है उन्हें यह जड़ से समाप्त करता है जरूरत है आपको अनुलोम विलोम के नियमित अभ्यास करने की ।
आध्यात्मिक लाभ – Anulom Vilom Pranayam Ke Fayde
जब सूक्ष्म शरीर का शोधन हो जाता है तो सभी नारियां रोग मुक्त हो जाती है सुषुम्ना नाड़ी शांत होकर एकाग्र हो जाती है और शांत मन ध्यान में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त होता है ।
अनुलोम-विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम हमारे चित्त की भी सुधि कर देता है हमारे प्रारब्ध परिश्रम पर गहरा प्रभाव पड़ता है इस तरह से अनुलोम विलोम प्राणायाम हमें ध्यान करने में बड़ा ही सहायक है जन्मो जन्मांतर के विचार नाड़ी में ही छुपे रहते हैं और चित्र के माध्यम से समय-समय पर प्रारब्ध बनके हमें बहुत ही परेशान करते हैं अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) का प्रणाम नियमित रूप से करने से हम अपने भाग्य और अपने भविष्य के निर्माता बन सकते हैं ।
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हमारे सभी चक्र उर्जावान हो जाते हैं I हमारे इंगला और पिंगला नाड़ी संपूर्ण रुप से शोधन होकर सक्रिय हो जाती है जिसे अपने सूक्ष्म शरीर के दर्शन का लाभ हमें प्राप्त होने लगता है I हमें धीरे-धीरे यह आभास होने लगता है कि हमारे शरीर के अंदर एक कोई भी विद्युत शरीर में मौजूद है और उसका प्रभाव हमारे फिजिकल बॉडी पर भी पड़ने लगता हैI
सच पूछिए तो आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अनुलोम विलोम नाड़ी शोधन का अभ्यास किए बिना आपका रास्ता नहीं खुल सकता आप यूं समझ लीजिए कि आध्यात्मिक पथ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी है अनुलोम विलोम प्राणायाम I