भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे और तरीका, Bhastrika Pranayama in hindi,
भस्त्र का मतलब होता है लोहार की छोटी धौंकनी (Blower), जिस प्रकार लोहार अपनी धौंकनी को चलाता है,जिससे अग्नि प्रज्वलित होती है उससे वह अपना कार्य करता है ठीक उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम करते समय साधक प्राणवायु को तेजी से अपने अन्दर धारण ( करना पूरक) करता है और फिर श्वास को बाहर (रेचक करना) छोड़ता है और अपने शरीर में अग्नि तत्व को बढाता है । चलिए अब हम जानते है कि, भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama in Hindi) कैसे करते है :-
भास्त्रिका प्राणायाम कैसे करें, Bhastrika Pranayama in Hindi
Contents
1. किसी भी आसन में सुख पूर्वक बैठ जाएं और रीड की हड्डी बिल्कुल सीधा होनी चाहिए।
2. दोनों हाथ अपने घुटने पर रखते हुए चित को बिल्कुल एकाग्र करें।
3. मन बिल्कुल शांत रखिये।
4. पूरी श्वास को बाहर निकालिए और फिर लंबी गहरी सांस लीजिये।
5. अगर आप प्रथम बार अभ्यास कर रहे हैं तो इस अभ्यास में आपको पहली प्रक्रिया में स्वास को धीरे धीरे अंदर लेना है और फिर स्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ना है ।
6. जब आपका अभ्यास 5 से 10 दिन हो जाएगा तब आप का टाइमिंग धीरे-धीरे बढ़ेगा।
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भास्त्रिका प्राणायाम के फायदे / Bhastrika Pranayam ke Fayde
1 . इस प्राणायाम के प्रभाव से मोटापा कम होता है, क्योकि फैट बर्न सबसे ज्यादा तेज श्वास के आवागमन से होता है।
2. इसके नियमित अभ्यास करने से वात कफ के रोग दूर होते हैं और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
3. इस प्राणायाम से अस्थमा और टीवी को रोको भी दूर किया जा सकता है।
4. इसके नियमित अभ्यास करने से रक्त की गंदगी दूर होती है।
5. रक्त की शुद्धता होने से त्वचा संबंधित रोग जैसे एग्जिमा, सोरायसिस, घाव, फोड़े, फुंसी इत्यादि भस्त्रिका प्राणायाम को लगातार करने वाले साधक का शरीर पूरी तरह से निर्मल हो जाता है।
6. रक्त संचार शुद्ध होने के चलते उसके चेहरे पर चमक बढ़ जाती है।
7. भस्त्रिका प्राणायाम एक गर्म प्रकृति का प्राणायाम होने के चलते शरीर का तापमान संतुलित रखता है जिससे ठंढ कम लगती है।
8. यह प्राणायाम सर्दी जुकाम एलर्जी में खासतौर से बड़ा ही उपयोगी है श्वास रोग है जिनको नजला है उनके लिए भी बड़ा प्रभावशाली है।
9. थायराइड और टॉन्सिल से संबंधित रोगों में भी सहायक यह प्रणाम प्राण मन और चित्त को स्थिर रखता है।
10. भास्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास सुषुम्ना नाड़ी को प्रभावित करता है जिसके चलते हमारे मूलाधार चक्र और नाभि चक्र सक्रिय हो जाते हैं।
11. वैसे तो यह पढ़ना विस्फोटक है डायनेमिक मेडिटेशन में इसी प्राणायाम को लगातार अभ्यास किया जाता है अलग-अलग पहलू से तो यह शक्ति जागृत करने वाला प्राणायाम है।
ब्लड सरकुलेशन पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए क्या-क्या सावधानिया बरतनी चाहिए (What precautions should be taken while doing Bhastrika Pranayama)
1. जिनको हाई बीपी और हृदय रोग हैं उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए अगर करने की इच्छा हो तो किसी गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
2. जिनको मस्तिष्क के विकार हैं या कोई असाध्य रोग है मस्तिष्क में उन्हें भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
3. जिन उष्ण प्रकृति के हैं और गर्मी अधिक हो रही है उस समय इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।
4. सबसे पहले इस प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे करे और बाद में इसके गति को नियमित बढ़ाना चाहिए।
5. जिनकी आंखों में लाली और किसी तरह का कोई इंफेक्शन हो तो उस समय नहीं करना चाहिए।
6. महिलाओं को रितु धर्म के समय इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।
7. हर्निया, तीव्र गैस्ट्रिक,अल्सर और मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम करना चाहिए।
भास्त्रिका के और भी लाभ –
जिनका जीवन आलस्य-प्रमाद में बीत रहा है जो इच्छा रखते हैं कुछ भी करने की लेकिन हो नहीं पाता है।
योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें भास्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना चाहिए।
कोई भी काम आप ठीक से नहीं कर पा रहे हैं तो आप भास्त्रिका प्राणायाम करके देखिए आपके कार्यों में नियमितता भी आएगी।
यह प्राणायाम अपने आप में एक जोश देने वाला उत्साह से भर देने वाला हैं।
निष्कर्ष ( Conclusion ) –
भस्त्रिका प्राणायाम से हमको यह सीखने को मिला किस शरीर को अग्नि तत्व की अधिक आवश्यकता पड़ती है। अगर शरीर में अग्नि तत्व की उर्जा कम हो तो आदमी अपने जीवन में प्रतिमान नहीं हो पाता और वह कोई भी काम सजगता से नहीं कर पाता है। भास्त्रिका प्राणायाम हमारे जीवन को रूपांतरित करने वाला प्राणायाम है, यह जीवन में उत्साह जोश और संकल्प को पूरा करने में बड़ा ही सहायक है।