जेल्सीमियम 30 का प्रयोग और सेवन विधि, Gelsemium 30 Uses in Hindi
Gelsemium एक होमियोपैथिक दवा है जो Gelsemium sempervirens नामक पौधे कि जड़ो से बनता है। इस पौधे का कॉमन नाम येल्लो जैस्मिन है। यह एक पोलिक्रिस्ट मेडिसिन है। पोलिक्रिस्ट मेडिसिन का अर्थ यह है कि यह दवा शरीर के बहुत सारे अंगो पर काम करती है परन्तु इस दवा प्रयोग मुख्यतः बुखार,नपुंसकता,इंफ्यूएंजा,सिर दर्द और तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में किया जाता है। अब हम जेल्सीमियम 30 का प्रयोग (Gelsemium 30 Uses in Hindi) के बारे में विस्तार से जानेगे :-
यह दवा जिन रोगियों पर कारगर होती है उनमे तीन प्रमुख लक्षण और कॉमन होते है :- चक्कर आना(Dizziness), शरीर में शिथलता (Drowsiness) और नींद आना (Dullness)
इन तीन प्रमुख लक्षण के साथ अगर किसी भी बीमारी में शरीर में अगर कम्पन होती है तो यह दवा और बेहतर रिजल्ट देती है।
आपने देखा होगा कि एक ही बीमारी में अलग अलग होमियोपैथिक दवा का इस्तेमाल होता है क्योकि इसमें रोगी के मानसिक और शारीरिक परस्थिति को ध्यान में रखकर कोई दवा दी जाती है उसी प्रकार होमियोपैथि में एक दवा का इस्तेमाल बहुत से रोगों में किया जाता है।
अब हम इस दवा का प्रयोग रोगियों के शारीरिक एवं मानसिक लक्षण के आधार पर जानते है कि यह दवा किन किन रोगों में फायदेमंद (Gelsemium 30 Uses in Hindi) है:-
मरीज का हाव भाव एवं उसका मानसिक लक्षण
Contents
- 1 जेल्सीमियम 30 के फायदे Gelsemium 30 Uses in Hindi
- 1.1 सिर का दर्द
- 1.2 बुखार / ज्वर के लक्षण (Gelsemium 30 Uses in Hindi)
- 1.3 चर्म रोग के लक्षण –
- 1.4 आँख का लक्षण (Eye – Gelsemium 30 Uses in Hindi)
- 1.5 नाक का लक्षण
- 1.6 चेहरा का लक्षण
- 1.7 मुहँ और गला के रोगी का लक्षण
- 1.8 पेट और मल-मूत्र सम्बंधित लक्षण
- 1.9 स्त्रियों के लक्षण
- 1.10 पुरुष के लक्षण
- 1.11 श्वास और दिल के लक्षण (Gelsemium 30 Uses in Hindi)
- 1.12 पक्षाघात के लक्षण
- 1.13 ये रोग कब बढ़ते है और कब घटते है ?
- 1.14 होम्योपैथी में Gelsemium का उपयोग किस लिए किया जाता है?
- 1.15 क्या जेल्सीमियम वास्तव में काम करता है?
- मरीज बिल्ल्कुल उदास रहता है अकेले कमरे में बैठा रहता है।
- अकेले रहना पसंद करता है अगर कोई इससे बात करे तो इसे बिलकुल पसंद नहीं होता है,।
- सोते समय यह बड़बड़ाता रहता है।
- रोगी को आस-पास की घटनाओं की सम्पूर्ण जानकारी तो होती है लेकिन उसके हाथ-पैर उसकी इच्छा के अनुसार काम नहीं करते हैं।
- अगर किसी को दुखद समाचार या ज्यादा ख़ुशी होने के वजह से उसके नर्वस सिस्टम से सम्बंधित कोई समस्या उत्पन्न हुई है इस रोग में यह दवा बहुत ही लाभकारी है।
- छोटे छोटे बच्चों में भी इसका लक्षण दीखता है जब बच्चा सो रहा होता है तो बिना किसी कारण के ही एकाएक चौक कर माता की गोद से चिपक जाता है, और चिल्लाकर रोने लगता है।
- ऐसा मालूम पड़ता है कि जैसे बच्चे ने गिरने के डर से माता को कसकर पकड़ लिया है।
जेल्सीमियम 30 के फायदे Gelsemium 30 Uses in Hindi
सिर का दर्द
- इसमें रोगी को ऐसा सिर का दर्द जो गर्दन के पिछले हिस्से से शुरू होता है और फिर सिर के पीछे से होते हुए आगे ललाट के पास आँखों के ऊपर होने लगता है।
- दर्द इतना असहनीय होता है कि मानो उसका सर फटने वाला हो।
- रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसने सिर पर टाइट पट्टी बंध रखी हो।
- इसमें रोगी आंखे नहीं खोलना चाहता है और अगर वह धुप में निकलता है तो यह रोग और भी बढ़ जाता है।
- अगर इन सब लक्षणों के साथ चक्कर आना(Dizziness), शरीर में शिथलता (Drowsiness) और नींद आना (Dullness) ये सब भी लक्षण हो तो यह दवा बहुत ही कारगर होती है।
- रोगी का सिर घूमते रहता है उसे चक्कर जैसा महसूस होता है।
- इस दवा के साथ Allen Vertigo Drops का सेवन करने से बहुत फायदेमंद होता है।
बुखार / ज्वर के लक्षण (Gelsemium 30 Uses in Hindi)
- इसमें मरीज को तेज बुखार के साथ ठण्ड लगती है, और यह ठंढ पीठ की दोनों हड्डियों के बीच से आरंभ होता है, जिससे रोगी शरीर में कंपन भी होती है और रोगी थरथराकर कांपता है।
- इस प्रकार का ज्वर आने पर रोगी चुपचाप पड़ा रहता है। कमजोरी के कारण हिलना डुलना बिल्कुल नहीं चाहता है।
- इस बुखार में शरीर में बहुत तपिश होती है और मरीज बिलकुल सुस्त होता है।
- उसे पसीना तो बहुत आता है लेकिन प्यास भी नहीं लगती है।
- इस प्रकार के बुखार में बहुत फायदेमंद है।
- यह खसरा और इन्फ्लुएंजा में भी बहुत कारगर है क्योकि इन रोगों में भी बुखार के साथ शरीर कपकपाता है।
- खसरा – measles – यह measles वायरस से होने वाला संक्रामक रोग है इस रोग से संक्रमित होने के शुरुआत के दिनों में रोगी को तेज बुखार, नाक से पानी आना, मुँह के अंदर छाले पड़ जाना, आखें लाल हो जाना ये लक्षण प्रमुख है ।
- influenza – इन्फ्लुएंजा एक संक्रामक वायरल श्वसन रोग है जो ओन्फ़्लुएन्ज़ वायरस के कारण होता है इसमें रोगी को बुखार के साथ उलटी, सिर दर्द, बदन दर्द, खासी, दस्त, इत्यादि लक्षण दिखते है ।
चर्म रोग के लक्षण –
- रोगी के शरीर पर लाल चकते हो जाते है और चमड़ा गर्म तथा सुखा रहता है ।
- Pellagra और Erysipelas (विसर्प) रोग से ग्रषित रोगियों के लिए भी लाभकारी है।
- Pellagra – जब शरीर में विटामिन B3 कि कमी हो जाती है तो यह रोग होता है इसमें पेट में दर्द,पपड़ीदार त्वचा के घाव, सूजी हुई श्लेष्मा झिल्ली, भूख न लगना इत्यादि लक्षण दिखते है।
आँख का लक्षण (Eye – Gelsemium 30 Uses in Hindi)
- आँखों में भारीपन होती है वह सूजी हुई होती है।
- सही पॉवर का चश्मा लगाने के बाद भी देखने में धुधलापन लगेगा और धुएं जैसा दिखता है।
- सर के दर्द साथ आखो में दर्द होने लगता है।
- आँखों कि पलकें भारी हो जाती है जिसे आँखों को खोलने में कठिनाई होती है ।
- डबल विज़न हो जाता है कुछ भी देखने में असहज महसूस होता है।
- आँखों के चारो तरफ कि मांसपेशियों में दर्द के साथ सिकुड़न और फड़कन होती है कभी कभी जलयुक्त सुजन भी होता है।
नाक का लक्षण
- नाक की जड़ो में भारीपन हो जाता है और नाक में सुजन जैसा महसूस होता है ।
- जुखाम में जो नाक से डिस्चार्ज होता है वह जहा जहा लगता है वह स्किन को छिल देता है और हल्का लाल हो जाता है जैसे कि तेजाबी स्राव हो ।
- तीव्र जुकाम के साथ में सर दर्द और बुखार हो जाता है।
- नाक में खुजली और गुदगुदी टाइप का महसूस होता है।
चेहरा का लक्षण
- मरीज कि ठोड़ी थोड़ी सी तिरछी हो जाती है, या कभी कपने लगती है। होठ का movment भी सही से नहीं होता है ।
- मरीज का चेहरा लाल हो जाता है और चेहरे पर गर्मी महसूस होती है।
- चेहरा कि पेशियाँ सिकुड़ी हुई होती है खासकर मुहँ के आसपास कि सिकुड़ी हुई होती है।
- चेहरे कि पेशियों में दर्द होता है।
- इस दवा में रोगी के चेहरे में रक्त की अधिकता के कारण चेहरा भारी,गर्म और तमतमाया हुआ रहता है।
- रोगी का नीचे का जबड़ा लटक जाता है।
मुहँ और गला के रोगी का लक्षण
- मुह के अन्दर एक गन्दा स्वाद बना रहता है और बदबू आती है।
- जीभ थोड़ी मोटी महसूस होती है और वह सुन्न रहती है।
- जीभ पर हल्के पीले रंग की मैल चढ़ी रहती है। जीभ को मुँह से बाहर निकलने पर जीभ काँपती है।
- मरीज को बोलने में भी दिक्कत होने लगती है।
- गले में पेन रहता है और खाना खाने पर कुछ जकड़ा हुआ महसूस होता है।
- खाना खाने और निगलने में कठिनाई होती है खासकर गर्म चीज खाने से होता है।
- खाना चाबते समय और निगलते समय कान में दर्द होने लगता है कानो में चुभन होता है।
- गले में खुरखुरापन और जलना रहता है। टांसिल बड़ा हो जाता है ।
- यह डिप्थीरिया में भी लाभदायक है जिसमे गला और उपरी वायु मार्ग संक्रमित हो जाता है।
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पेट और मल-मूत्र सम्बंधित लक्षण
- रोगी को स्वस्थ व्यक्ति कि तरह प्यास नहीं लगती है।
- मरीज को हिचकी रहती है और यह हिचकी शाम होते होते बढ़ने लगती है।
- पेट में खालीपन और चुभन महसूस होता है, ऐसे लगता है कि पेट पर कोई भारी चीज़ रख दिया गया है।
- डायरिया – रोगी के इमोशनल एक्टिविटी वजह से यह डायरिया होती है, जैसे ही कोई बुरी खबर सुन ले या फिर डर जाये तो मल निकलने लगता है यह उसके उतेजित व्यव्हार कि वजह से भी होता है।
- इसमें मल हल्का पिला या चाय जैसा हरा भी हो सकता है।
- मरीज को एकदम साफ पानी कि तरह पेशाब होने लगता है और उसे पेशाब करते समय ठण्ड लगने लगता है।
- यूरिन रुक रुक कर आती है, उसे पेनफुल यूरिन भी हो सकता है।
- argentium nitricum भी इसमें बहुत कारगर दवा है।
स्त्रियों के लक्षण
- गर्भाशय के मुहँ पर कडापन हो जाता है कभी कभी गर्भाशय में दर्द ऐसा होता है मानो गर्भाशय निचोड़ा जा रहा हो ।
- मासिक धर्म में कष्ट होता है और बहाव थोड़ा थोड़ा कर के होता है तथा मासिक धर्म भी समय पर नहीं आता है।
- कभी गर्भाशय में दर्द ऐसा होता है, मानो बच्चा होने वाला हो (मिथ्या प्रसव पीड़ा ) तथा यह दर्द पीठ से उठता है और फिर कमर कि तरफ बढ़ने लगता है।
पुरुष के लक्षण
- पुरुषो में बिना प्राइवेट पार्ट खड़ा हुए ही वीर्य स्खलित हो जाता है।
- प्राइवेट पार्ट ठंढा और ढीला पड़ जाता है और अंडकोष पर पसीना होता है।
- सुजाक या गनोरिया जो यौन संचारित रोग है जो नीसेरिया गनोरिया नामक जीवाणु से होता है जिसमे लिग्न में घाव हो जाता है और पेशाब में जलन इत्यादि होने लगता है इसमें Gelsemium 30 Uses किया जाता है।
श्वास और दिल के लक्षण (Gelsemium 30 Uses in Hindi)
- मरीज का श्वास धीरे-धीरे शिथिलता के साथ चलता है।
- रोगी को सूखी खांसी के साथ सीने में दर्द रहता है और उसका जुकाम बहता ही रहता है।
- आवाज धीमी और श्वास तेज हो जाता है।
- रोगी को उसके टेटुआ में कुछ अटका सा महसूस होता है।
- टेटुआ – इसे adam’s apple भी कहते है यह मनुष्य के गर्दन पर छोटा सा उभार होता है। यह किशोरावस्था में दिखना शुरू होंने लगता है। यह गर्दन के वायस बॉक्स को सुरक्षित रखता है जिसके कारण इन्सान कुछ बोल पाता है। यह पुरुषो और महिलाओ दोनों में पाया जाता है परन्तु महिलाओ में साफतौर पर दिखाई नहीं देता है और पुरुषो में यह साफ दिखाई देता है।
- उसके दिल ऐसी भावना रहती है, कि चलते फिरते रहना आवश्यक है नहीं तो दिल कि गति रुक जाएगी।
- उसकी नाड़ी शांत रहने से धीमी होती है मगर उसके हिलते ही तेज होने लगती है।
- वृधावस्था में नस नाड़ियो में जो कमजोरी और धीमी हो जाती है उसमे भी लाभकारी है।
पक्षाघात के लक्षण
- रोगी की मांसपेशियां सुन्न हो जाती हैं। रोगी अपनी मर्जी से हाथ-पैरों को हिला पाता है क्योंकि उसकी गति संचालक Motor nerves पहले की तरह कार्य नहीं कर पाते हैं।
- रोगी मानसिक रूप से उदास रहता है।वह हमेशा अकेला रहना चाहता है।
- थोड़ी सी उतेजना में अनजाने में रोगी का मल बाहर निकल जाता है और रोगी को कुछ मालूम नहीं पड़ता है।
- उसके नसों में रक्त का संचार धीमा हो जाता है।
- मूत्राशय का भी पक्षाघात हो जाता है, जिसमे रोगी पेशाब नहीं कर पता है कभी कभी पेशाब बूंद बूंद करके निकलता है और फिर पेशाब हो जाने के बाद रोगी को ऐसा महसूस होता है कि थोड़ा पेशाब बाकी रह गया है।
अगर इन सब लक्षणों के साथ चक्कर आना(Dizziness), शरीर में शिथलता (Drowsiness) और नींद आना (Dullness) ये सब भी लक्षण हो तो यह दवा बहुत ही कारगर होती है।
अभी आपने रोगों के लक्षणों के आधार पर Gelsemium 30 के प्रयोग (Gelsemium 30 Uses in Hindi) और फायदों के बारे जाना अब हम इसके बढने और घटने के कारणों के बारे में जानते है :-
ये रोग कब बढ़ते है और कब घटते है ?
बढ़ने का कारण
जब मौसम में नमी होगी और कोहरा छाया रहेगा। बिजली और तूफान आने से पहले रोगी को और तकलीफ होगी।
जब रोगी उतेजित हो जाये या आवेग में आ जाये। बुरी खबर सुन ले और अपनी बीमारी के बारे में ज्यादा सोचेगा तो उसके रोग में वृद्धि होगी।
घटने का कारण
रोगी द्वारा अधिक मात्रा में पेशाब से रोग में आराम रहेगा ।
खुली हवा में रहने और लगातार हरकत करते रहने से भी रोग घटता है ।
बलवर्धक और वीर्यवर्धक खान पान से उसके रोगों में कमी होती है ।
Gelsemium 30 uses in Hindi
सबसे पहले Gelsemium 30 CH (POTENCY) का प्रयोग करना चाहिए, अगर नहीं आराम मिले तो Gelsemium 200 CH का उपयोग कर सकते है।
Gelsemium 30 CH या Gelsemium 200 CH – इसे दिन में 3 बार 2 बूंद उपयोग किया जाता है।
अगर ज्यादा प्रयोग करना है तो किसी चिकित्सक से परामर्श ले लेना चाहिए।
Gelsemium 200 Uses In Hindi
होमियोपैथी में 30 CH, 200 CH, 1M, 10M इत्यादि ये सब दवा कि पोटेंसी अर्थात पॉवर होती है।
अगर किसी मरीज को Gelsemium 30 CH का प्रभाव नहीं होता है तो वह Gelsemium 200 CH का प्रयोग कर सकता है। परन्तु बेहतर यही होता है कि पहले आप कम पोटेंसी में दवा का इस्तेमाल करें।
Gelsemium Q uses in Hindi
अगर आपकी बीमारी बहुत दिनों से है तो आपको Gelsemium के मदर टिंचर अर्थात Gelsemium Q का प्रयोग कर सकते है, क्योकि असाध्य रोगों के इलाज में किसी भी दवा के मदर टिंचर का इस्तेमाल ज्यादा होता है।
I am an experienced homeopathic doctor, dedicated to providing holistic patient care. I completed my Bachelor’s and Master’s degrees in Homeopathy, specializing in chronic disease treatment. I am an active member of homeopathic associations known for my compassionate approach to patient care.
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होम्योपैथी में Gelsemium का उपयोग किस लिए किया जाता है?
यह दवा शरीर के बहुत सारे अंगो पर काम करती है परन्तु इस दवा प्रयोग मुख्यतः बुखार,नपुंसकता,इंफ्यूएंजा,सिर दर्द और तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में किया जाता है।
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क्या जेल्सीमियम वास्तव में काम करता है?
यह दवा जिन रोगियों पर कारगर होती है उनमे तीन प्रमुख लक्षण और कॉमन होते है :- चक्कर आना(Dizziness), शरीर में शिथलता (Drowsiness) और नींद आना (Dullness), अगर ये तीन लक्षण मिलते है तो यह दवा उस रोगी को ठीक करने में मदद करती है
लेखक डॉ मणिकांत जी को बहुत बहुत धन्यवाद🙏, बहुत ही सटीक लक्षणों का विवेचन किया है आपने,
तेज़ बुखार 103 °,गले सिर व शरीर में तेज़ दर्द, भयंकर नींद के लक्षणों में मैंने आपके बताये लक्षणों से मेल खाने पर Gels की मात्र तीन गोलियां मुँह में डालकर 2मिनिट प्रतीक्षा की गोलियां मुँह में ज्यों की त्यों रखी हैं और मरीज कहने लगीं (गर्मी लगने लगी मुझे आपने क्या दवा दी?) और उसी क्षण बुखार लिया तो आधा डिग्री उतर चुका है। ह्रदय से पुनः धन्यवाद।